Wednesday, November 12, 2008

कालासूरज तूझे सलाम
मैने किया तुझे प्रणाम
न करना निराश
न होना उदास
जीवन की नैया को
तरंगो का सहारा
तरंगों को मिलेगा
सूरज का उजाला
यिश्वास है कि
पार लगेगी ये नैया
निराशा न होगी
उदासी न होगी
जब सूरज के अन्धेरो को
तारोंका उजाला
तो कैसे न होगीपरिक्शित जीवन की आशा.

5 comments:

Girish Kumar Billore said...

स्वागतम

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

thik hai. narayan narayan

अभिषेक मिश्र said...

यिश्वास है कि
पार लगेगी ये नैया
निराशा न होगी
उदासी न होगी
जब सूरज के अन्धेरो को
तारोंका उजाला
तो कैसे न होगीपरिक्शित जीवन की आशा.
अच्छा लिखा है आपने. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी.

pritima vats said...

kavita achchi lagi.
thanks

Unknown said...

waah ji waah ....aap to shabdo ke jadugar maloom hote hai....

mere blog par bhi aap amantrit hai....

Jai Ho Magalmay ho..